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गीता प्रेस, गोरखपुर >> वैशाख,कार्तिक,माघ-मास माहात्म्य

वैशाख,कार्तिक,माघ-मास माहात्म्य

गीताप्रेस

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :298
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1163
आईएसबीएन :81-293-0178-4

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वैशाख, कार्तिक और माघ-मास की महिमा तथा माहात्म्य ...

Vaishakh kartik Maghmaas-Mahatmya-A Hindi Book by Gitapress - वैशाख,कार्तिक,माघ-मास माहात्म्य - गीताप्रेस

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

निवेदन

भारत की महान संस्कृति में मनुष्यमात्र के लौकिक तथा पारलौकिक अभ्युदय के साथ यथार्थ सुख-शान्ति एवं आत्म-कल्याण का अमर संदेश निहित है। पुराणादि शास्त्रों में भगवत्पूजन, व्रत, दान, तीर्थ-सेवन आदि की बड़ी महिमा बतायी गयी है। इस संदर्भ में अनेक पुराणों के वर्णन तथा आख्यान हमारे लिये प्रेरक तथा मार्ग-दर्शक हैं। यों तो नित्यप्रति ही भगवान् के पूजन-भजन, कीर्तन, तीर्थ, व्रत, स्नान, दानादि का विधान तथा महिमा शास्त्रों में वर्णित है; किन्तु वर्ष भर में कुछ विशेष मासों में इन अनुष्ठानों का विशेष महत्त्व देते हुए कल्याणकारी बताया गया है। वर्ष भर के बारह मासों में वैशाख, कार्तिक तथा माघमास की विशेष महिमा का उल्लेख हमारे शास्त्रों में मिलता है। इन महीनों में स्नान-दान, जप-ध्यान, भगवत्पूजन तथा देवाराधन के पवित्र अनुष्ठानों का विशेष माहात्म्य बताया गया है। क्योंकि, उपर्युक्त तीनों मास ही बड़े ही उत्तम, पवित्र और विशेष रूप से पुण्यप्रद माने गये हैं।

प्रस्तुत पुस्तक में ‘पद्मपुराण’ तथा स्कन्दपुराण’ से संकलित उपयुक्त तीनों मासों की महिमा तथा माहात्म्य प्रस्तुत किया गया है। साथ ही भगवत्प्रीत्यर्थ इन पवित्र अनुष्ठानों द्वारा ‘स्व-कल्याण’ के उपक्रमसहित दूसरों के उद्धार में सहायक होने की शुभ प्रेरणा भी शीघ्र ही आत्म-कल्याण के लिये महत्त्वपूर्ण मानी गयी है। हमारे विचार से तद्विषयक विशिष्ट जानकारी कराने के लिये इस पुस्तक का प्रकाशन उपयुक्त और सफल सिद्ध होगा-ऐसी आशा है।

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